Psalms 30
1ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी तम्जीद करूँगा ; क्यूँकि तूने मुझे सरफ़राज़ किया है; और मेरे दुश्मनों को मुझ पर खु़श होने न दिया। 2 ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा! , मैंने तुझ से फ़रियाद की और तूने मुझे शिफ़ा बख़्शी। 3 ऐ ख़ुदावन्द, तू मेरी जान को पाताल से निकाल लाया है; तूने मुझे ज़िन्दा रख्खा है कि क़ब्र में न जाऊँ। 4 ख़ुदावन्द की सिताइश करो, ऐ उसके पाक लोगों! और उसके पाकीज़गी को याद करके शुक्रगुज़ारी करो| 5क्यूँकि उसका क़हर दम भर का है, उसका करम ‘उम्र भर का। रात को शायद रोना पड़े पर सुबह को ख़ुशी की नौबत आती है। 6मैंने अपनी इक़बालमंदी के वक़्त यह कहा था, कि मुझे कभी जुम्बिश न होगी। 7ऐ ख़ुदावन्द, तूने अपने करम से मेरे पहाड़ को क़ायम रख्खा था; जब तूने अपना चेहरा छिपाया तो मैं घबरा उठा। 8 ऐ ख़ुदावन्द, मैंने तुझ से फ़रियाद की; मैंने ख़ुदावन्द से मिन्नत की, 9जब मैं क़ब्र में जाऊँ तो मेरी मौत से क्या फ़ायदा? क्या ख़ाक तेरी सिताइश करेगी? क्या वह तेरी सच्चाई को बयान करेगी? 10सुन ले ऐ ख़ुदावन्द, और मुझ पर रहम कर; ऐ ख़ुदावन्द, तू मेरा मददगार हो। 11तूने मेरे मातम को नाच से बदल दिया; तूने मेरा टाट उतार डाला और मुझे ख़ुशी से कमरबस्ता किया, ताकि मेरी रूह तेरी मदहसराई करे और चुप न रहे। ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, मैं हमेशा तेरा शुक्र करता रहूँगा। 12
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